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KALAM (The Pen)

  • Writer: Shweta Sarkar
    Shweta Sarkar
  • May 1, 2020
  • 2 min read

"कलम गोयद के मन शाह-ए-जहानम " कलम कहती हैं की मैं दुनिया की शहज़ादी हूँ।

दुनियां कहाँ की कहाँ पहुँच जाये, लाखो युद्ध हों, नयी सीमाँएँ बने और पुरानी बिगड़ जाएँ, नए कीर्तिमान स्थापित हों और नए चेहरे सामने आएं, पुरानी शक्लें बदल जाएँ और लोग दुनियां छोड़कर चले जाएँ, ये मेरा है और वो तेरा नहीं है, ये मेरा नहीं है लेकिन मुझे चाहिए और मैं लेकर रहूंगा, मैं महान हूँ तुम नहीं हो, मैं अदि हूँ लेकिन तुम अनन्त नहीं हो, मैं सदैव रहूंगा और तुमको मिटा दूंगा, कल जो था वो आज है या कल जो कुछ भी था, वो सब आज है? या फिर आज जो सब है कल वो सबकुछ सच में था भी? आज जो भी है, कल वो कितना होगा? इन सारी बातों और प्रश्नो के उत्तर वही हैं जो कलम चाहती है की हों, और उन्ही प्रश्नों के उत्तर हैं जिनको कलम ने चाहा है की हों, और यही होता भी रहेगा। कितनी भी तलवारें खिंचें, कितना भी खून बहे, कितने भी अधिकार मिलें या कितनी भी विजय- सत्य वही रहेगा जो प्रमाणित होगा और प्रमाणित वही होगा जो अंकित होगा कुछ भी हो, राज कलम का ही होगा, पूरे जहाँ की शहज़ादी कलम ही होगी। इतिहास क्या है? भविष्य क्या होगा? जो भी होगा सिर्फ उतना ही होगा जितना कि कलम चाहेगी। आज इतने कलम जो सफ़ेद कागज़ पर कला जादू चलने की कोशिश में हैं वो सिर्फ इसलिए कि - सबका सच, सारा सच, हर पहलु का सच, हर रूप में सच- अंकित हो सके। क्यूंकि जो अंकित होगा सिर्फ वही रहेगा, क्यूंकि सिर्फ कलम ही है जो दुनिया पर असल राज करती आयी है और करती रहेगी। सिर्फ कलम ही दुनिया की शहज़ादी है और रहेगी। ज़रुरत है की- तलवारों से रेत पर अस्थाई निशान बनाने की जगह कलम से कागज़ों पर अनंत सत्य उकेरे जाएँ।

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